🎓 JEE में पहली बार असफल, दूसरी बार बनी कामयाबी की कहानी – दिव्यांशु का IIT तक का सफर
🌟 सफलता की नई परिभाषा – दिव्यांशु की प्रेरक यात्रा
कहते हैं कि असफलता अंत नहीं, एक नई शुरुआत होती है। यही साबित किया है कानपुर के दिव्यांशु कुमार ने, जिन्होंने पहले प्रयास में JEE में सफलता न मिलने पर हार नहीं मानी। बल्कि, एक साल की सुनियोजित तैयारी के बाद IIT मंडी में दाखिला लेकर यह दिखा दिया कि सही दिशा में की गई मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।
🧬 बायोलॉजी से लगाव, लेकिन इंजीनियर बनने का फैसला
दिव्यांशु का झुकाव शुरू से ही बायोलॉजी की ओर था। उनके पिता पेशे से एक वेटेनेरियन हैं, जिनके काम को देखकर उनका विज्ञान के प्रति लगाव और बढ़ा।
हालाँकि, समय के साथ उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस जैसे तकनीकी क्षेत्रों में रुचि लेनी शुरू की। यहीं से उन्हें बायोइंजीनियरिंग की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली – एक ऐसा क्षेत्र जो बायोलॉजी और टेक्नोलॉजी को जोड़ता है।
📚 पहली हार से सीखा, दूसरी बार की प्लानिंग से जीता
साल 2021 में दिव्यांशु ने पहली बार और Advanced में भाग लिया, लेकिन उन्हें संतोषजनक रैंक नहीं मिली।
इसके बाद उन्होंने एक साल का ड्रॉप ईयर लिया और 2022 में फिर से परीक्षा दी। इस दौरान उन्होंने:
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ऑनलाइन टूल्स और किताबों की मदद से खुद पढ़ाई की
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हर हफ्ते मॉक टेस्ट देकर प्रदर्शन को बेहतर बनाया
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त्योहारों और सामाजिक गतिविधियों से दूरी रखकर फोकस बनाए रखा
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अपने समय का पूरा प्रबंधन करते हुए रोजाना 6–8 घंटे अध्ययन किया
वे मानते हैं कि इस एक साल ने उन्हें न सिर्फ एक बेहतर छात्र बनाया, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत किया।
🧠 रिसर्च की दुनिया की ओर पहला कदम
IIT मंडी में दाखिले के बाद दिव्यांशु का झुकाव कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी, जीनोमिक्स और न्यूरोसाइंस जैसे क्षेत्रों की ओर बढ़ा।
अब वे उच्च शिक्षा के ज़रिए ऐसे विषयों में रिसर्च करना चाहते हैं, जिनका सीधा फायदा विज्ञान और समाज दोनों को हो।
उनके अनुसार, IIT की यह यात्रा सिर्फ एक डिग्री नहीं, बल्कि जीवन के बड़े सबक सीखने का माध्यम रही है – जिसमें दोस्ती, आत्म-खोज और अनुशासन प्रमुख रहे।
💡 JEE की तैयारी कर रहे छात्रों को दिव्यांशु की सलाह
“अगर पहली बार में सफलता न मिले तो घबराएं नहीं।
खुद पर भरोसा रखें, गलतियों से सीखें और मेहनत जारी रखें।
सफलता जरूर मिलेगी – शायद उस रूप में जिसकी आपने कल्पना भी न की हो।”